कुछ अनसुनी दर्द की बातें, कुछ अनकहे दर्द के किस्से

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Sumit Bhatia

नवदीप भाटिआ (1948-2018) स्वर्गीय नवदीप ने ग्वालियर, मुंबई और दिल्ली में अपना जीवन व्यतीत किया। उनमें काव्य-लेखन की छिपी प्रतिभा थी। शादी से पहले के वर्षों में उन्होंने अपनी अधिकांश कविताएँ लिखी थीं। नवदीप बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे और उनकी मुस्कान आकर्षक थी। फिर भी, उनकी अधिकांश कविताओं विषय दर्द था। उन्होंने एक छोटी सी डायरी में कविताएँ लिखीं जो केवल उनकी पत्नी, बेला, जानती थी। 2018 में उनके दुनिया छोड़ने के बाद, उनके बेटे, सुमित को अपनी माँ से वो डायरी मिली और उनमें से कुछ कविताओं को प्रकाशित करने का उन्होंने फैसला किया। सुमित भाटिआ सुमित का जन्म 1976 में हुआ था और वह मुख्य रूप से मुंबई और दिल्ली में रहे हैं। सुमित एक शीर्ष इंश्योरटेक संगठन में एचआर लीडर के रूप में काम करते है। वह एक उत्साही लेखक हैं और मानते हैं कि उन्होंने अपने पिता से कविता लिखने का गुण लिया है। वह अंग्रेजी और हिंदी में लिखते हैं और उन्होंने अमेज़न किंडल पर एक अंग्रेजी कविता पुस्तक भी प्रकाशित की है। जब सुमित को अपने पिता की डायरी मिली, तो उन्होंने अपने पिता की कविताओं को प्रकाशित करके उन्हें सम्मानित करने का विचार किया। वह अपने पिता की कविताओं के साथ अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए विशेषाधिकार महसूस करते हैं।

Description

ढूंढ़ता मैं एक भी नहीं, मिलते मुझे हैं हज़ारों गम खुशियों का बाज़ार हैं लगा हुआ, बस मेरे हिस्से में हैं कुछ कम कुछ अनसुनी दर्द की बातें, कुछ अनकहे दर्द के किस्से तेरे संघ बाँट रहा हूँ, कर रहा हूँ तेरे हिस्से

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