Description
बृज भूमि में पले-बढे और शिक्षित हुए सरल स्वभाव के धनी कवि श्री खुशीराम जी के हृदय से प्रस्फुटित शब्द सुमनो की माला की रूप में सुसज्जित काव्य संग्रह अंतः पुष्प, कविताओं की ऐसी धरोहर है जिसमें कवि ने जीवन की सभी रंग भरे हैं। साधारण व्यक्ति वस्तु घटना मनुष्य कर्म को साधारण तरीके से देखता है कवि विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखता है। हैं अंतःपुष्प मेरे अंतःकरण से प्रस्फुटित सुमन है। यह सुमन मानव संस्कृति के सुमन हैं जिससे यह समाज सुगंधित होता चला आ रहा है।